ना जाने क्यों आज भी एक लड़की होना गुनाह है,
किसी को भी उसकी ना परवाह है |
कहीं न कहीं बैठी है वो नम आँखों को लेकर,
बैठी है इस आस में के कभी न कभी उसे अधिकार मिलेगा,
किसी को भी उसकी ना परवाह है |
कहीं न कहीं बैठी है वो नम आँखों को लेकर,
उन नम आँखों में भी तो जीने की चाह है |
आज भी उसे कुछ नहीं समझा जाता है,
इसलिए तो कहीं दहेज़ कहीं पैरो तले रोंदा जाता है |बैठी है इस आस में के कभी न कभी उसे अधिकार मिलेगा,
नासमझ जानती नहीं, आनेवाला जीवन भी उधार मिलेगा |
कोई नहीं समझता उसका दर्द, कब होगी उसकी कद्र ?
यू ही चलता रहा तो इक दिन उसका अस्तित्व ही मिट जायेगा,फिर समाज में पुरुषो का राज ही रह जायेगा |
लड़की पैसे मांगे तो क्यों ? लड़के के लिए फिर एक्स्ट्रा, ऐसा क्यों !
कभी न कभी तो ये भेद मिट जायेगा,फिर समाज में समानता का अधिकार आएगा |
By : J.K
लड़की (Ladki)|Dear Diary
Reviewed by Jyoti
on
July 03, 2020
Rating:
Bhaut khoob purash samaj pr shi vyangya Kiya hai aapne
ReplyDeleteTrue well said 👍
ReplyDeleteTrue well said 👍
ReplyDeleteVery nice
ReplyDeleteगहराई और सच्चाई से भरी कविता
ReplyDeletetrue👍🏻👍🏻
ReplyDeleteYa.Reality.
ReplyDeleteAab to bss... Agli bar kitab chapni chahiye 👏💥😘
ReplyDeleteOSM... YES IT'S REALITY😥😥💖💖💖💖💖
ReplyDeleteTrue
ReplyDeleteAmazing
ReplyDeleteImpressive performance explain tru poetry 💪👌👌
ReplyDelete