ज़िन्दगी का सफर कुछ यु बढ़ रहा है
समझ से परे है सब पर समय चल रहा है।
साथ नहीं होता हमेशा कोई
इसका अभ्यास हो रहा है।
आज, कल करते - करते
सबसे अपनापन खो रहा है।
समझ से परे है सब पर समय चल रहा है।
साथ नहीं होता हमेशा कोई
इसका अभ्यास हो रहा है।
आज, कल करते - करते
सबसे अपनापन खो रहा है।
नाराज नहीं है किसी से
बस खुददारी है।
सबने परखकर देखा हमेशा
अब हमारी बारी है।
मतलब की दुनिया है
यह हमने भी पहचान लिया।
मुस्कुराकर आगे बढ़ना
हमने भी जान लिया।
फ़िक्र करती हु आज भी सबकी
मगर जताना नहीं आता |
सीधे बोलना सीखा है
बाते घुमाना नहीं आता है।
अल्फाजो मे कैद आज भी
मन की बात हुई।
जिस कलम को रखा था हमने
आज फिर उसी से शुरुआत हुई।
By - J.K
Zindagi ka safar| Dear Diary
Reviewed by Jyoti
on
September 17, 2021
Rating:
Nice
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